Saturday, March 13, 2021

कोरोना काल में मेडिकल कॉलेज का हाल भाग-२

दूसरा भाग:

चार पाँच सीनियर लड़के एक स्वीट्स एंड स्नैक्स की दुकान पर खड़े थे और वहाँ एक होस्टल का जूनियर अपने डे स्की बैचमेट के साथ आ जाता है। सभी के मुहँ पर मास्क है। डे स्की बैचमेट अपने दोस्त को छोटी सी ट्रीट दे रहा होता है।

डे स्की जूनियर: "चल ना बे! क्या सोच रहा है?"
होस्टल वाला जूनियर: "भाई रुक जरा, एप्रोन के बटन तो लगाने दे।"
डे स्की जूनियर: "अरे चल ना यार, एक तो इतनी गर्मी है ऊपर से तू बटन लगा रहा। रहने दे ना, वैसे भी कौन सा यहाँ कोई सीनियर है? " फिर रुक कर दोबारा बोला:
"चल आज मैं तुझे पार्टी देता हूँ और ये पार्टी उन कंजूस सीनियर की तरह नहीं है कि रात भर जम के पेला और फिर बस एक समोसा और कोल्ड ड्रिंक दे कर भेज दिया।"

तभी होस्टल वाले जूनियर की आँखें सीनियर्स की घूरती आँखों से टकराई।

(अब यहां से बातें आंखों के इशारे में होगी)

सीनियर ने मन में सोचा- "ई कौन से चींटी महल का तोप है बे? ई हमलोग को पहीचानता नहीं क्या?"
होस्टल जूनियर ने आंखों से विनती की- "माफ़ कर दीजिए बॉस! आइंदा से ऐसा कभी नहीं होगा।"
सीनियर ने मन में सोचा- "इसको तो बेटा अब अलग से बुलाऊँगा परिचय सत्र में, मुर्गे की तरह बांग दिलवा कर अंडा देते हुए हीरोइन की तरह नाचेगा ये अब तो।"
होस्टल जूनियर ने फिर से इशारों में विनती की- "प्लीज प्लीज बॉस हमको छोड़ दीजियेगा । मम्मी कसम, हम अब कभी भी इसके साथ नहीं घूमेंगे। गलती हो गया बॉस।"
सीनियर ने होस्टल वाले जूनियर को आँखें तरेरी- "तू तो साला पवनवा है........ तुमको तो हम शरीफ समझते थे लेकिन तुम भी.........रुको बेटा अब पूरा बैच को बुलाएंगे परिचय सत्र में।"

विशेष बिंदु- कृप्या इसे सिर्फ हास्य व्यंग्य ही समझे, जिसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है  (केवल बाहर वालों के लिए, बाकी अंदर की बात तो कुछ और ही है)।

इस भाग पर टिप्पणी देंगे तभी अगले भाग का प्रकाशन होगा।


धन्यवाद

आपका वरीय/कनीय/मित्र

वरुण(2017 बैच)


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