आपबीती - डॉ बबुआ से डॉ बाबा तक का सफ़र
डॉ चन्दन कुमार ,2006 batch,RIMS, RANCHI.
बहुत लफ्फा-सुट्टी, हेन -तेन , घिस -लपट और This -that के साथ campus का life ख़त्म होने को है। कितनी चुभती और गुदगुदाती यादों से भरा रहा सफ़र। कुछ भूल गए, कुछ भूला दिए गए।कुछ भूलकर भी न भूले गए और कुछ जबरन याद दिला दिए गए।
17 अगस्त 2006 [very special day]- campus का पहला दिन। सादे लबादे में खुद को लपेटकर एक खादी का झोला हाथ में ,और साथ में medico होने का certificate यानि hostel -i.d. हलके पानी में भींगते हुए MCD के पास सुबह 8 बजे एक दोस्त ने कुछ कहा---.
दिल में डर था पर दिमाग में मेडिको होने का गुरुर। पैर तो जमीन पर थे ही नहीं।काउंसेलिंग के अगले ही दिन अपने दोस्तों के साथ हॉस्टल facility देखने गया। जब बॉस को पता चला की एक junior है, तो उन्होंने कहा-' कहाँ छोटू?बाराती के साथ तो सब girls -hostel जाते हैं,तुम boys -hostel में क्या कर रहे हो? क्या चिड़ियाघर घुमने आये हो? समय की नजाकत को भांपते हुए बिल्ली की तरह निकलने में ही भलाई समझी।बड़ी adventurous एंट्री थी। एक और बात तो भूल ही गया। महुआ' से तो वाकिफ ही होंगे। बोतल वाला नहीं, पेड़ वाला ....ठीक उसी तरह टेबल पर पड़े cadaver को देखकर मेरी कुछ कमसीन सखाएं टपक गयी थी।कई ghuro-metre सफ़ेद बगुलों की लार टपक पड़ी थी।
2.10 pm , physiology practical ख़त्म। त्राहिमाम। सब अपने अपने ख़ुफ़िया रास्ते से भाग निकले।हम अनजान। हुए परेशान। आफत में जान। physio ladies toilet खुला था- बेटा। मौका पहचान। यही होगा जीवनदान। जैसे मेरे पिछवाड़े से आकाशवाणी हुई। seniors से तो बच गए, but staff ने लगा दिया बहार से ताला। हो गया गड़बड़ घोटाला।बुरे फंसे मियां जान। सुबह हो जाएगी इज्ज़त नीलाम। .........खैर ....
3rd button देखते हुए प्रणाम बॉस की हवाई firing करते हुए हॉस्टल की छत पे पहुंचा दिए गए। वाह।क्या नज़ारा था मनो early-man फिल्म की शूटिंग चल रही हो। हम सब homo -sapiens evolution के पुराने दौर में थे।वो कबड्डी आज तक याद है।
नेक्स्ट station- जोड़ा तालाब, friends hostel . यह हमारे batch का training कैंप था। यहाँ हमने सीखा शेविंग करना, कडुआ तेल लगाना, बाल काटना, clean shave का exact मतलब , hostel i.d. करीदना और पेट भर कर k .c . करना। बताता चलूँ की 'कान चाटना' k.c. का civilized translated version है। और हाँ emergency में एक ही बाथरूम में नहाना .....ही।ही। ही।।।।।
समय बीता. अब हम बड़े कारनामे करने लगे थे. किसी दोस्त के जन्मदिन पर मरीन ड्राइव में चिल्लाना और मिनी-ऑडिटोरियम के पीछे भसान डांस करना फिर मधुवन में खाना और दोस्त की थाली से चौमिन चुराना और एक ही ऑटो में लड़ाकर २५-३० लडको का आना."आज भी उन खानों की महक बाकी है इन साँसों में".
"हूटिंग करने का मजा और बड़े बड़े ग्रंथों में डूबने की सजा." मूड फ्रेश करने के लिए हमने कई सुहानी शामे लालपुर में गुजारी.
उस हादसे के साथ हम भी सीनियर बन गए.
venue-marine drive.
time-9.00am.
host- 2k6 boys
guest- 2k7 girls + boys
cross-ragging or introduction का अद्भुत दृश्य और शायद आखिरी भी.
क्लाइमेक्स तो तब आया जब ऍन वक़्त पर कॉलेज के महामहिम का काफिला आ धमका. फिर तो हमलोग ऐसे भागे जैसे किसी ने मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर मार दिया हो.
सेकंड इयर. वार्ड ड्यूटी शुरू. पहली बार डॉक्टर टाइप से फील हुआ.और साथ में शुरू हो गया सेकंड इयर सिंड्रोम. दो दिन खांसे तो लगा की टी.बी. हो गया है,चेस्ट पेन हुआ तो हार्ट अटैक की पढ़ाई शुरू.फिर तो रिम्स से अपोलो हॉस्पिटल तक का e.c.g.से echocardiography तक सबकुछ करा लिए. जब मेरे एक सीनियर को पता चला तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा-
" बेटा .Angina pectoris is an endemic infectious diseas of medical colleges caused by Angellina jollie."
सेकंड इयर का लाइफ भी e.c.g. के ग्राफ की तरह उबड़ खाबड़ रास्तों से होकर गुजरा. जैसे तैसे एग्जाम देकर MBBS का half life पूरा किया.
बहुत ही खट्टी और थोड़ी मीठी यादों के साथ 3rd year का life गुजर रहा था.करीबन १२ महीने तक लगातार examinee batch होने का गौरव प्राप्त हुआ. क्लास तो नसीब न था. हॉस्टल में रहकर एग्जाम की तैयारी करनी थी. लग रहा था mbbs का correspondence course कर रहे हों और PLT में जाकर test series दे रहे हैं.इसी बीच बेरोजगारी के क्षणों में कुछ हादसे भी हुए. anti-social का अवार्ड मिला,काला-पानी की सजा मिली, socially outcast हुए, बरजत की उपाधि से नवाजे गए, और तब से लेकर आजतक probable suicidal candidates list में मेरा नाम टॉप पे विराजमान है. क्या शानदार प्रदर्शन है, मगर हैरत की बात ये है की मैं आज तक ज़िंदा हूँ. बात अलाग है की palpitation aur hypertension लेकर शर्मिंदा हूँ, और हाल से ही गांजा-दारु-ciggerate की गली का बासिन्दा हूँ.
अब कुछ घटनाएं संक्षेप में-
१.दो साल से अज्ञातवास और एकांतवास में गए बाबा का पुनर्जन्म
२. 7th day जैसे article का controversial writer बनने का श्रेय प्राप्त.
३. '7th day' is an article of its own kind showing the controversial attitude and the volatile personality of the writer and the editor too. and the lack of support from batchmates as per the expectations.---spriha 2020
४. और आया 3rd MB का एग्जाम. 2k6-2k7 साथ साथ. दम भर k.c. किये और करवाए.
और अब आखिरी पड़ाव .
सुना था डॉक्टर कब्र में भी पढ़ते हुए पाए जाते हैं.इसलिए harrison-davidson के साथ दफनाये जाते हैं.एक पाव का दिमाग और १० पसेरी का किताब. मैं जितना था बिंदास --बन बैठा उतना ही बड़ा सेंटी-दास. किसी किसी को तो तुलसीदास भी नज़र आता हूँ.
कॉलेज लाइफ शुरू हुआ था BBC खैनी बिक्रेता {सिनर्जी २००७} से और ख़त्म हो रहा है दारू सिगरेट से. synergy में वो नौटंकी करना, शिखंडी बन कर चीर हरण करवाना, १०८ चुड़ैल के साथ रात गुजारना,गब्बर सिंह को खैनी खिलाना और माधव की फिल्म में विलेन का रोले निभाना.....
एक अंतर्मुखी लड़के को synergy के स्टेज पर कुछ कहने और करने लायक बनाने के लिए मैं अपने सीनियर का ताउम्र शुक्रगुजार रहूँगा.
एक विशेष अनुभव---
पहली बार सैनिक की तरह लड़ने का मौका मिला था. बस्ती वालो से लड़ाई हुई थी.पूरा कैंपस एकजुट.बीमारियों से लड़ने वाले डॉक्टर खुद को बचाने के लिए लड़ रहे थे. जीवन तो एक युद्ध क्षेत्र है, ये तो महज एक युद्ध का आगाज़ था...
कैंपस की एक परंपरा दिल को छू लेने वाली है.
MB exam के पहले सीनियर और जूनियर का "all the best " समारोह.
जाते जाते यादों का पिटारा भर रहा हूँ.
कुछ गुदगुदाते लम्हे, कुछ हेन- तेन कुछ this-that..
मैंने इन सब से बस यही सिखा है-
"किसी भी रिश्ते को अगर निभाया न जा सके तो उसे उस मुकाम तक पहुंचा कर छोड़ देना चाहिए कि फुर्सत में याद करें तो खुद पर नाज़ कर सके."
और एक दरखास्त खास उनसे-
"अभी उलझा हूँ खुद की जिंदगी सुलझाने में
फुर्सत मिली तो तेरी जुल्फे सुल्झाऊंगा
सोचूंगा जरुर उन लम्हों को
कभी मोहब्बत की थी तुमसे
कभी शरारत की थी तुमसे"
guest- 2k7 girls + boys
cross-ragging or introduction का अद्भुत दृश्य और शायद आखिरी भी.
क्लाइमेक्स तो तब आया जब ऍन वक़्त पर कॉलेज के महामहिम का काफिला आ धमका. फिर तो हमलोग ऐसे भागे जैसे किसी ने मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर मार दिया हो.
सेकंड इयर. वार्ड ड्यूटी शुरू. पहली बार डॉक्टर टाइप से फील हुआ.और साथ में शुरू हो गया सेकंड इयर सिंड्रोम. दो दिन खांसे तो लगा की टी.बी. हो गया है,चेस्ट पेन हुआ तो हार्ट अटैक की पढ़ाई शुरू.फिर तो रिम्स से अपोलो हॉस्पिटल तक का e.c.g.से echocardiography तक सबकुछ करा लिए. जब मेरे एक सीनियर को पता चला तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा-
" बेटा .Angina pectoris is an endemic infectious diseas of medical colleges caused by Angellina jollie."
सेकंड इयर का लाइफ भी e.c.g. के ग्राफ की तरह उबड़ खाबड़ रास्तों से होकर गुजरा. जैसे तैसे एग्जाम देकर MBBS का half life पूरा किया.
बहुत ही खट्टी और थोड़ी मीठी यादों के साथ 3rd year का life गुजर रहा था.करीबन १२ महीने तक लगातार examinee batch होने का गौरव प्राप्त हुआ. क्लास तो नसीब न था. हॉस्टल में रहकर एग्जाम की तैयारी करनी थी. लग रहा था mbbs का correspondence course कर रहे हों और PLT में जाकर test series दे रहे हैं.इसी बीच बेरोजगारी के क्षणों में कुछ हादसे भी हुए. anti-social का अवार्ड मिला,काला-पानी की सजा मिली, socially outcast हुए, बरजत की उपाधि से नवाजे गए, और तब से लेकर आजतक probable suicidal candidates list में मेरा नाम टॉप पे विराजमान है. क्या शानदार प्रदर्शन है, मगर हैरत की बात ये है की मैं आज तक ज़िंदा हूँ. बात अलाग है की palpitation aur hypertension लेकर शर्मिंदा हूँ, और हाल से ही गांजा-दारु-ciggerate की गली का बासिन्दा हूँ.
अब कुछ घटनाएं संक्षेप में-
१.दो साल से अज्ञातवास और एकांतवास में गए बाबा का पुनर्जन्म
२. 7th day जैसे article का controversial writer बनने का श्रेय प्राप्त.
३. '7th day' is an article of its own kind showing the controversial attitude and the volatile personality of the writer and the editor too. and the lack of support from batchmates as per the expectations.---spriha 2020
४. और आया 3rd MB का एग्जाम. 2k6-2k7 साथ साथ. दम भर k.c. किये और करवाए.
और अब आखिरी पड़ाव .
सुना था डॉक्टर कब्र में भी पढ़ते हुए पाए जाते हैं.इसलिए harrison-davidson के साथ दफनाये जाते हैं.एक पाव का दिमाग और १० पसेरी का किताब. मैं जितना था बिंदास --बन बैठा उतना ही बड़ा सेंटी-दास. किसी किसी को तो तुलसीदास भी नज़र आता हूँ.
कॉलेज लाइफ शुरू हुआ था BBC खैनी बिक्रेता {सिनर्जी २००७} से और ख़त्म हो रहा है दारू सिगरेट से. synergy में वो नौटंकी करना, शिखंडी बन कर चीर हरण करवाना, १०८ चुड़ैल के साथ रात गुजारना,गब्बर सिंह को खैनी खिलाना और माधव की फिल्म में विलेन का रोले निभाना.....
एक अंतर्मुखी लड़के को synergy के स्टेज पर कुछ कहने और करने लायक बनाने के लिए मैं अपने सीनियर का ताउम्र शुक्रगुजार रहूँगा.
एक विशेष अनुभव---
पहली बार सैनिक की तरह लड़ने का मौका मिला था. बस्ती वालो से लड़ाई हुई थी.पूरा कैंपस एकजुट.बीमारियों से लड़ने वाले डॉक्टर खुद को बचाने के लिए लड़ रहे थे. जीवन तो एक युद्ध क्षेत्र है, ये तो महज एक युद्ध का आगाज़ था...
कैंपस की एक परंपरा दिल को छू लेने वाली है.
MB exam के पहले सीनियर और जूनियर का "all the best " समारोह.
जाते जाते यादों का पिटारा भर रहा हूँ.
कुछ गुदगुदाते लम्हे, कुछ हेन- तेन कुछ this-that..
मैंने इन सब से बस यही सिखा है-
"किसी भी रिश्ते को अगर निभाया न जा सके तो उसे उस मुकाम तक पहुंचा कर छोड़ देना चाहिए कि फुर्सत में याद करें तो खुद पर नाज़ कर सके."
और एक दरखास्त खास उनसे-
"अभी उलझा हूँ खुद की जिंदगी सुलझाने में
फुर्सत मिली तो तेरी जुल्फे सुल्झाऊंगा
सोचूंगा जरुर उन लम्हों को
कभी मोहब्बत की थी तुमसे
कभी शरारत की थी तुमसे"
बहुत ही बढ़िया मनोरंजक और प्यारा लिखा है बॉस। अधिकतर चीजें अभी भी वैसी ही हैं बस तरीका और जगह बदल गया है। भावनाएँ जस की तस हैं।
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