चूजे.....ओए चमन चूजे......क्या?......सुन नहीं रहा है क्या?.....तेरे से ही बोल रहा हूँ.......क्या इधर उधर ऊपर नीचे दाएँ बाएँ देख रहा है.......मैं बोल रहा हूँ........अरे नीचे देखो.....नीचे तो देखो।
हाँ, अब सुना न.....मतलब मीम की भाषा में बात करता हूँ तो तुरन्त बातें समझ आने लगती है। अजीब चमन चूजे हो बे। हैं.......क्या कहा...... कि पिता जी ने कहा था- मेडिकल कॉलेज में ऐश ही ऐश है। अरे रुको.... जरा सब्र करो। अभी कॉलेज के रंग ढंग शुरू तो होने दो।
हाँ तो मैं कह रहा था कि शर्म नहीं आती न जरा सी भी। इस्तेमाल करने के बाद कूड़े की तरह बक्से में डाल कर बैग के अंदर फेंक देते हो। यार कम से कम इतना तो लिहाज करो कि कल को दोबारा मुझसे ही काम लेना है। ये क्या है कि केवल पानी से धोया और चल पड़े? कम से कम सैनिटाइजर या साबुन का उपयोग कर लो। तुम्हें तो शर्म आती नहीं है। लंच ब्रेक से ठीक पहले DH में हाथों से मांस चीरते हो और लंच ब्रेक में दाँतों से। तुम तो मतलब मस्त हाथ वगैरह अच्छे से सेंट वाले साबुन से धो कर दिन भर घूमते रहते हो। सड़ना मुझे पड़ता है फैट, फॉर्मेलिन और मांस की गंदी बदबू के साथ अंधेरे कमरे में।
हाँ, सही पकड़े हो। मैं डिसेक्शन बॉक्स का राजा स्कालपेल बोल रहा हूँ। कान खोल कर सुन लो.......ये जो तुम कलियों को खुश करने के चक्कर में मुझे प्रसाद की तरह बाँटते फिरते हो न और भँवरों की तरह मँडराते रहते हो.......बहुत गंदा कटेगा तुम्हारा। मैं काटता हूँ तो सबको दिखा लेते हो न.......घाव का खून.......इनके द्वारा कटेगा तो न दिखा पाओगे न छुपा पाओगे। जो तुम सपने देख रहे हो कि हंसों का जोड़ा बनाओगे और RP में PR करोगे, सब धरा का धरा रह जायेगा।
ओए चूजे की महिला सहपाठी......किधर चल दी मुँह दबा कर हँसते हुए। तुम भी सुनो। ये क्या दिन भर हा हा ही ही करती रहती हो? DH में घुसते ही बैग कोने में फेंक कर कैडेवर पर आड़ी तिरछी रेखाएँ मार देती हो। थोड़ा प्यार से नहीं कर सकती हो? किसका गुस्सा किस पर निकालती हो? एक तो ढंग से पकड़ना आता नहीं है और पकड़ती भी हो तो फिर हड्डियों तक काट देती हो। ये क्या है मतलब?
वैसे तुम साफ सफाई रखती हो इसलिए तुम थोड़ी अच्छी हो लेकिन तुम अक्सर भूल कैसे जाती हो मुझे कमरे में अकेला तन्हा?
ओ..... अच्छा...... जब सब भँवरे अपना स्कालपेल लाते ही हैं तो तुम भी ला कर भीड़ क्यों बढ़ाओ या क्यों गंदा करो? गज़ब चालाक हो तुम तो।
वैसे एक बात बताओ, ये क्या रोना रहता है तुम्हारा कि हम नहीं छूएंगे, ग्लव्स नहीं पहने हैं इसलिए। हम नहीं काटेंगे क्योंकि गंदा लग रहा है। जब डिसेक्शन के लिए हाथों से स्किन उठाना है, फ्लैप बनाना है, फैट क्लियर कर के संरचनाओं का अध्ययन करना है तब किनारे चली जाती हो नाक मुँह सिकोड़ कर और जब गुरु जी पढ़ाने समझाने आते हैं तो एक हाथ नाक पर रख कर धक्का मुक्की करती हो गुरु जी के पास खड़ी हो कर समझने के लिए। Hypocrisy की भी सीमा होती है।
खैर चलो तुमलोग पढ़ाई लिखाई में मन लगाओ और डॉक्टर बनो जो दिल-दिमाग-शरीर का इलाज करे। दिल काटने तोड़ने पटकने मटकने के लिए माई बाबूजी नहीं भेजे हैं तुमको मेडिकल कॉलेज में......समझे?..... हम भी चलते हैं पढ़ने।
संदर्भ:
चूजा: प्रथम वर्ष के छात्र।
मीम: इसका मतलब नहीं समझते तो बेटा निकलो पहली फुर्सत में।
पिता जी की बातें: अब क्या बताएँ, सबको यही सुनने को मिला है कि इसके बाद ऐश है उसके बाद ऐश है। मैंने तो ऐश की एशेज(ashes) को गंगा बहा दिया।
लंच ब्रेक: मांसाहारी लोगों को बड़ी घिन आने लगती है यार।
अंधेरा कमरा: dissection बॉक्स
हंसों का जोड़ा: कोरोना काल मे मेडिकल कॉलेज का हाल भाग 1
कलियाँ, भँवरे, RP में PR: RP में PR(एक पूर्व प्रकाशित रचना)
DH: Dissection Hall/ दिल्लगी हॉल- अब जैसी जिसकी जरूरत
रेखाएँ: Incision lines
कैडेवर: Dead body
संरचना: structure
तो स्वागत कीजिये अपनी प्यारी प्यारी टिप्पणियों से हमारी इस नई रचना का।
धन्यवाद
आपका वरीय/कनीय/मित्र
वरुण(2017 बैच)
फ़ोटो क्रेडिट: प्रफ्फुल राज 2020 बैच
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